कथणै सारू न्यारी भांत रौ कांर्इं है म्हारै कन्नैम्हारै वाल्है मीत उम्मेद गोठवाल नै खासा दिन हुयग्या लारै पड़यां कै कीं खु रै पेटै र्इ लिखनै देय। म्हैं बरियां-बरियां टाळतौ रैयौ। कारण अेक र्इ हौ कै अैड़ौ कांर्इं हुय सकै म्हानै कन्नै जकौ म्हैं लिख सकूं अर वौ बीजां रै बांचणजोग हुय सकै। पण लगौलग री रटंत अर वीं मांयली कंवळार्इ मिनख नै अैड़ौ तौ कर र्इ देवै कै वौ लिखणै बैठ जावै। लिखणवाळौ वौ मिनख जद म्हैं हुवूं तद लिखती वळा सोच फगत वां भीखां रै ओळै-दोळै र्इ रमै, जका म्हैं म्हारी खुदू-बिरतांत पोथी 'आंगणै री ओळूं अर वींरै बीजां भागां मांय चितारया। इण रमाव रौ कारण, कै वांसूं अळगौ- म्हारै कन्नै कीं बेसी जचाव है र्इ कोनीं। खुदू-थरपणां मांय जूझूं, तद इण जूझ रौ तौ बरणाव करणौ नीति मुजब कोनीं, पण कीं अैड़ी बातां इ्र है जकी कथीज सकै। पण कथणै सारू न्यारी भांत रौ कांर्इं है म्हारै कन्नै?
हां, बात बणाइज सकै अर बात बणाव में कठैर् इ जुगू जोड़ हुवै तौ वींनै र्इज घालणौ लिखारै रौ धरम हुवै। वीं धरम पेटै रचाव में रस जामै। वीं रस नै पोखतौ कड़ूम्बौ राजी र्इ हुवै तौ बेराजी र्इ।
तौ पछै बात सरू करां वीं गांव सूं जठै म्हारौ जलम हुयौ। वीं आंगणै सूं जठै म्हैं गुडाळियां रम्यौ। वीं बाखळ सूं जठै म्हैं चालणौ सीख्यौ। वीं गवाड़ सूं जठै म्हैं घूता-गिंडी खेली, धोळियौ-भाठौ रम्यौ। वां गळियां सूं जठै पांवडा मेलती बगत लोक-ब्यौवार री घणी बातां सीखी।
कहानीकिस्तूरी कुंडळ बसै..... रुग्घै डीगा-डीगा पांवडा धरणा सरू कर दीन्हा। सूरज आथमै र्इ हौ। बिंयां तौ सूरज रोजीनै आथमै। आथमै जकौ र्इ उगै। भलभांत कैइजै तौ उगै जकौ आथमै र्इ अर आथमै जकौ उगै र्इ। आ जुगू रीत है। पण आज रौ सूरज रुग्घै सारू हरमेसू गत वाळौ नीं हौ। वींनै लागै हौ कै सूरज आज बेसी अटावरौ चालै है। रुग्घै री मारग नापती रफ्तार सूं र्इ बेसी अटावरौ। कविताछेकड़लौ सवाल.....
आखै देस पसवाड़ौ फोरयौ
नवी तकनीक अर नवै जतनां सूं,
कुणर्इ नीं बच्यौ,
कुणर्इ नीं बच्यौ वीं फांफ स
जकी सैधै ही मांय तांणी।