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कथणै सारू न्यारी भांत रौ कांर्इं है म्हारै कन्नै म्हारै वाल्है मीत उम्मेद गोठवाल नै खासा दिन हुयग्या लारै पड़यां कै कीं खु रै पेटै र्इ लिखनै देय। म्हैं बरियां-बरियां टाळतौ रैयौ। कारण अेक र्इ हौ कै अैड़ौ कांर्इं हुय सकै म्हानै कन्नै जकौ म्हैं लिख सकूं अर वौ बीजां रै बांचणजोग हुय सकै। पण लगौलग री रटंत अर वीं मांयली कंवळार्इ मिनख नै अैड़ौ तौ कर र्इ देवै कै वौ लिखणै बैठ जावै। लिखणवाळौ वौ मिनख जद म्हैं हुवूं तद लिखती वळा सोच फगत वां भीखां रै ओळै-दोळै र्इ रमै, जका म्हैं म्हारी खुदू-बिरतांत पोथी 'आंगणै री ओळूं अर वींरै बीजां भागां मांय चितारया। इण रमाव रौ कारण, कै वांसूं अळगौ- म्हारै कन्नै कीं बेसी जचाव है र्इ कोनीं। खुदू-थरपणां मांय जूझूं, तद इण जूझ रौ तौ बरणाव करणौ नीति मुजब कोनीं, पण कीं अैड़ी बातां इ्र है जकी कथीज सकै। पण कथणै सारू न्यारी भांत रौ कांर्इं है म्हारै कन्नै? हां, बात बणाइज सकै अर बात बणाव में कठैर्इ जुगू जोड़ हुवै तौ वींनै र्इज घालणौ लिखारै रौ धरम हुवै। वीं धरम पेटै रचाव में रस जामै। वीं रस नै पोखतौ कड़ूम्बौ राजी र्इ हुवै तौ बेराजी र्इ। तौ पछै बात सरू करां वीं गांव सूं जठै म्हारौ जलम हुयौ। वीं आंगणै सूं जठै म्हैं गुडाळियां रम्यौ। वीं बाखळ सूं जठै म्हैं चालणौ सीख्यौ। वीं गवाड़ सूं जठै म्हैं घूता-गिंडी खेली, धोळियौ-भाठौ रम्यौ। वां गळियां सूं जठै पांवडा मेलती बगत लोक-ब्यौवार री घणी बातां सीखी। तौ पछै वीं गांव रौ नांव है- भाड़ंग। जकौ गांव इतिहासकार गोविंद अग्रवाल-सुबोधकुमार अग्रवाल मुजब चूरू सूं चाळीसेक मील उतादौ तारानगर (रिणी) हलकै मांय बसाव राखै। जकै रौ उल्लेख 'छंद राउ जइतसीरउ बीठ सूजइरउ कहियउ अर 'लछागर रास रै साथै-साथै केर्इ बीजां ग्रंथां में र्इ लाधै। वीं मुजब 14वैं-15वैं सर्इकै सूं पैलां तांणी भाड़ंग सिमरध है। ब्यौपार रै मारग धकलौ रैठांण हौ। अठै रै पसुधन खातर नैड़ै र्इ अेक ढाब थरपीजी ही, जकै रै कांर्ठ आज साहवा कस्बौ बिराजै। कीं आंतरै रिणी कस्बौ रिणकली कुम्हारी (रिणी देवी प्रजापत) बसायौ, जकौ आगै चालनै तारासिंह रै नांव माथै तारानगर बाज्यौ। बीकानेर रियासत री खेंचातांण सूं पैलां र्इ भाड़ंग मांय खेंचातांणी माची। सहारणपुर (हाल उत्तर प्रदेश) इलाकै सूं सहारण तीरथ जातरा सारू कोलायत जावै हा, मारग माथलै गांव भाड़ंग बासौ लीन्हौ। वठै सहू जाटां रौ राज। गढ री चीणत अर नींव मांय सहू भाणज अर सहारण बेटै नै दीरीजणै री लोकबात। तीरथ-जातरा बगता सहारणां सूं विधवा सहू बेटी अर सहारण बहू री पुकार। जुद्ध रौ बणाव अर सहारणां री थरपणां। आगै चालनै गिरासिया राज। 360 गांवां री राजधानी- भाड़ंग। उपराजधानी- सिरसला। वठै सूं र्इ चालतौ सहारणां रौ इतिहास हाल रै राजस्थान मांय कथीजै। वीं इतिहास रै ओळै-दोळै पूलौ सहारण, जबरौ सहारण, जोखौ सहारण अर बीजा लोक-कथीजता बडेरा हुया। वां बडेरां रै आसै-पासै कीं खेतीखडि़या र्इ गुजारौ करता। केर्इ दौरौ तौ केर्इ सौरौ। दौरार्इ-सौरार्इ रै दिनां मांय पड़ता-उठीजता कीं बडेरा महरावणसर पूग्या। जकौ चूरू रै अैन नैड़ै। वठीनै भाड़ंग कांनी र्इ जुग लदयौ। जूंनौ भाड़ंग थेह हुयौ अर नवौ आबाद। नवै आबाद भाड़ंग मांय जोसीजी महाराज पैलपोत घर थरप्यौ। नांव तौ ठाह नीं पण भौमियै जी महाराज रै रूप में हाल र्इ पूजीजै। इणी भौमियै जी री भौम इग्या लेयनै महरावणसर सूं कीं बडेरा पूठा मुड़या अर भाड़ंग आय बस्या। वांरी लांबी लैण। वीं लैंण मांय नंदराम, शेराराम, मामराज, मनफूलराम री विगत। मनफूलराम री संतानां मांय सै सूं छोटौ म्हैं। सात भार्इ अर दो भैण। नांव रौ उल्लेख र्इ लाजिमी, क्यंूकै वांरी ओळख पेटै र्इ म्हारी ओळख- खेताराम, गणेशाराम, आदराम, हुणताराम, बालूराम, निराणाराम, जीवणी, सरोज। छेकड़लौ बेटौ, लाडेसर म्हैं। म्हारौ नानेरौ गांव- ललाणा (नोहर-हनुमानगढ) रै हावळिया गोती जाटां में। मां जहरौ देवी। मामौ हरचंद अर तेजाराम। वठै री रमत री घणी ओळूं नीं पण मामै हरचंद री स्याणप अर तेजै मामे री गूंग हाल र्इ चेतै। भार्इ मनीराम अर मेहरचंद कान्नलै लाड री घणी बातां। मां री तौ कोर्इ के बात कर सकै? वीं पेटै तौ कित्ता र्इ ग्रंथ लिखौ चायै पण पूरा नीं लिखीज सकै, फगत मैसूस करीज सकै। पण अठै इत्तौ जरूर लिखीजै कै 'आंगणै री ओळूं पोथी मां रै ओळै-दोळै र्इ है। मां रौ हिंवळास- खुद रै हुवणै रौ बैम अर सो-कीं। पण औ सो-कीं.... 9 जनवरी, 1995 तांणी। खैर....। बात सरू करी ही गांव सूं। गांव री गिंगरथ सूं। गांव रै राजकीय उच्च प्राथमिक विधालय में म्हारी पढार्इ सरू हुयी। आठवीं तांणी अठैर्इ रुळपटी मारी। नवीं में नैड़ै रै गांव धीरवास बड़ा रै राजकीय माध्यमिक विधालय में भरती हुयौ। नवीं-दसवीं अठै सूं करी। ग्याहरवीं में राजकीय माध्यमिक विधालय, तारानगर में आयौ। खासा धक्का खाया। कालेज री समूची पढार्इ राजकीय लोहिया महाविधालय, चूरू में केवटी। भाड़ंग रै उच्च प्राथमिक विधालय में पढती बगत री घणी बातां चेतै आवै। गुरुवर उम्मेदसिंह जी सूं छुटटी मांगनै दूध चूंघणै सारू घरां बावड़नौ, गुरुवर खींवकरणजी-सरदार जगमालसिंहजी रै रैवासै जायनै सीरौ खावणौ, गुरुवर डूंगरमल जी शर्मा साम्हीं अड़ी करनै आजादी उच्छब मौकै केर्इ कायक्रमां में नांव लिखावणै अर नीं लिखीजणै रै फैसलै साथै डंडां री मार खावणी, स्कूल में प्रार्थना अर प्रतिज्ञा मौकै आगै आवणै री हूंस, अंत्याक्षरी में अगावू, बालसभा में सिरै रैवणै री कुबद। गुरुवर पूर्णमल जी री कंजूसी पेटै अर माड़ूराम जरी 'हैं-जकौ सूनौ जैड़ी नकल कढावणी तौ गुरुवर बनारसीलाल जी री कांन में कांकरी घालनै पींचणै री बांण चेतै आवै अर और र्इ चेतै आवै घणी बातां, नीं जांणै के-के...। इणी के-के मांय आज चेतै आवै बडै भार्इजी निराणाराम कांनी सूं दीरीजेड़ी वै बाल-पत्रिकावां, जिणनै ओळखनै म्हैं रचावू सपना देख्या। 'पत्र-मित्र थम्म पेटै कागद न्हाख्या। केर्इ पत्र-मित्र बणाया। रचाव री आखड़ी लीन्ही। राजस्थान पत्रिका प्रकाशन समूह री 'बालहंस पत्रिका में निबंध लिखौ, रंग भरौ, चित्र देखनै कविता लिखौ आद प्रतियोगितावां में भागीदार बण्यौ। केर्इ इनाम र्इ पांती आया। जद आठवीं पास करनै दो कोस आंतरै धीरवास रै स्कूल में भरती हुयौ तद तौ 'बालहंस म्हारी अंगावू बांण बणगी। धीरवास रा ओमप्रकाशजी शर्मा बालहंस बेचता। वां कन्नै सूं लगौलग बालहंस खरीदतौ अर रचनावां भेजतौ। दो रिपिया में अेक अंक आवतौ, मतलब महीनै रा च्यार रिपिया। किण भांत वौ जोड़ बैठतौ, म्हारौ र्इ जीव जांणै। चवन्नी-चवन्नी जोड़ीजती। पण जद म्हारै बाबै आ गत देखी तौ वांरौ हाथ खुल्लौ हुयग्यौ अर दो रिपिया खासा सौरा मिलणै लागग्या। वांरी जेब में स्यात बेसी सौरपार्इ नीं हुवती। पण... म्हारौ कोड मरयौ नीं अर जद बीस कै तीस रिपियां रौ मानदेय बालहंस कांनी सूं पूगतौ तद तौ हूंस सवार्इ हुवती अर हिसाब बरौबर। 15 सितम्बर, 1976 नै जकी मां म्हनै जलम दीन्हौ वींरी ओळूं में केर्इ रचनावां छापां में छपी। पण असली जी सौरौ तौ तद हुयौ जद राजस्थानी भाषा, साहित्य एवं संस्कृति अकादमी, बीकानेर कांनी सूं महाविधालय स्तरीय 'भत्तमाल जोशी साहित्य पुरस्कार मिल्यौ। वीं बगत म्हैं राजकीय लोहिया कालेज, चूरू में बीए फाइनल में पढतौ। वीं बगत छात्रसंघ रौ महासचिव र्इ हौ। राजस्थान रा मुख्यमंत्री भैंरोसिंह शेखावत अर शिक्षामंत्री गुलाबचंद कटारिया रै आतिथ्य में तेवड़ीजै जयपुर जळसै में वौ पुरस्कार मिल्यौ, तद म्हैं र्इ नीं अकादमी अध्यक्ष सौभाग्यसिंह शेखावत र्इ गळगळा हुयग्या हा। वां कैयौ, थूं बड़भागी है कै पैलौ पुरस्कार अेक मुख्यमंत्री देवै, म्हे तौ काळजै में हाल र्इ केर्इ पीड़ पळोटां। वांरी मनगत म्हैं समझ सकै हौ। पण वीं पुरस्कार म्हारी हूंस रै बधापै में कीं कमी नीं राखी। 'जागती जोत रा संपादक गोरधनसिंह शेखावत म्हारी काची रचनावां नै इंयां उळटनै छापता जांणै म्हनै सीखावता हुवै कै रचनावां इंयां लिखीजै। इण सीखाव अर बणाव धक्कै बी.ए. हुयग्यी। आगै री पढार्इ सारू म्हैं म्हारा पत्रमित्र डा. शकितदान जी कविया, जयनारायण व्यास विश्वविधालय, जोधुपर रै संदेसै मुजब केर्इ बेलियां रै साथै जोधपुर पूग्यौ अर एम.ए. हिन्दी में दाखिलौ लीन्हौ। पण कैबत है नीं कै गंडक रौ जी हाडका में र्इ रैवै। वा र्इ म्हारै साथै हुयी। चुनावी जुड़ाव वठै क दजी लागण देवै हौ। चूरू पाछौ बावड़नै एलएल.बी. में दाखिलौ लीन्हौ। छात्रसंघ रै चुनावां में धक्का खाया अर छात्रसंघ अध्यक्ष बणग्यौ। पण इण मारग रै आंटै रचाव कीं गमग्यौ। कीं के जाबक र्इ गमग्यौ। एलएल.बी. पछै जद कीं सांस आयौ तद जी जम्यौ। साहितियक जुड़ाव हौ र्इ, लैंण बदळगी। साहितियक जोड़ पेटै गांव-गवाड़ में चवड़ै हुवतै सांच रै ओळै-दोळै बाकां-चूंकां आंकां में लिखनै अेक पोथी बणाइजी- 'पीड़। आ म्हारी पैली छपी पोथी ही। इणरै पछै 'जंगळ दरबार, 'क्रिकेट रो कोड अर 'चांदी की चमक, 'आंगणै री ओळूं पोथ्यां आर्इ। एलएल.बी. म्हारै सारू वकीलार्इ रौ गेलौ नीं ही। फगत छात्रसंघ चुनाव रौ गेलौ ही। क्यूंके जद म्हैं जोधुपर सूं बावड़यौ तद राजकीय लोहिया महाविधालय, चूरू में फगत एलएल.बी. रा र्इ एडमिशन बाकी हा। बीजी सीटां भरगी ही। औ र्इज कारण रैयौ कै एलएल.बी. पछैर्इ कोर्ट में कदैर्इ जी जम्यौ नीं। दो पीसा कमावणै री भूख पीसावाळां रै सैंजोड़ै हुवणै सूं मरगी ही। पीसां री भरी पेटी रोजीनै सिरांणै धरनै सोवणियां नै र्इ ऊपरसांसां हुयेड़ा देख्या तद तौ आत्मा जाबक र्इ गवाही नीं दीन्ही। अर कैवूं कै आज र्इ गवाही नीं देवै। पण छात्रसंघ रै घेर बहोत-कीं सिखायौ। कैबत है कै विरोधी हुवणा चाइजै, जिण कारणै खुद रै लोगां रौ ठाह लागतौ रैवै। पोत साम्हीं आवतां रैवै। वा र्इ हुर्इ अर चुनाव रै दांवपेच पेटै मिनख नै परखणै री सोच र्इ म्हारै मांय बड़ी। खड़यौ-खड़यौ मिनख किंयां फेर काढलै, साम्हलै नै किंयां गोळी देय देवै- घणौं-कीं सीख्यौ। इण सूं आंतरै नेतावू हौड, साहितियक जोड़ हौ अर वीं बिचाळै र्इ प्रयास संस्थान, चूरू री थरपणा ही। प्रयास संस्थान म्हारै सारू कांम करणै रौ अेक मंच बण्यौ। वठैर्इ कांम करतां जबरा-जबरा अनुभव हुया। थारा-म्हारौ, आपणौ-वांरौ के-के कोनीं हुवै साहितियक खेमां में। पण अक बात तौ साफ अनुभव करी कै साहितियक नेतावां सूं बेसी चोखा हुवै राजनैतिक नेता। वै जैड़ा हुवै, वैड़ी छिब जनता में राखै। पण साहितियक नेता अेक मुखौटौ राखै। जनतां, इंयां कै पाठकां में कीं दूजा अर हकीकत में कीं और। बेसी बातां नै इत्तै में र्इ समÖयौ जा सकै। हां, केर्इ-केर्इ गुण र्इ हुवै वां में, जका सीख लेवणा चाइजै। वांनै सीख्यां दुनिया में सौरपार्इ सूं जी सकै मिनख। पण कैबत है कै कीच में कमल र्इ खिलै। केर्इ अपवाद र्इ हुवै। साहित्य अकादेमी, नर्इ दिल्ली रै राजस्थानी परामर्श मंडल में सदस्य री हैसियत सूं जावणौ, म्हारै सारू नवौ पसवाड़ौ हौ। वठै जद मौकौ मिल्यौ तद वां पंचबरस में खासा अनुभव मिल्या। खास बात आ रैयी कै इण मौकै में राजस्थान रा केर्इ खुदूनांमी साहितियक नेतावां रै मरोड़ा र्इ चालता दीख्या, जका नै हरमेस दिक्कत रैयी कै वठै सो-कीं ठीक नीं हुवै। पण जदवांनै र्इ कीं आगै चालनै मौकौ मिल्यौ तद इंयां लाग्यौ कै वांरी कथणी अर करणी न्यारी-न्यारी है। अठै आयनै साफ हुयौ कै मिनख रौ सुभाव लगैटगै अेकसौ हुवै। वौ आपरै हित सारू सिद्धांत अर उसूल घणां कीं छोड सकै। इणी छोडणै-जोड़नै री रंगत रौ नांव राजनीति हुवै, जकी समाज रै हरेक हिस्सै में बसै। घर-आंगणै सूं लेयनै देस-दुनिया तांणी। कोर्इ कैवै कै म्हैं राजनीति नै दाय नीं करूं, तौ म्हैं मानूं कै वौ झूठ बोलै। वींरै इण बोलणै लारै र्इ राजनीति हुय सकै। साहितियक जीवन जीवता थकां र्इ म्हारै मांय इणी अनुभवां पेटै राजनैतिक हूंस कदै मरी कोनीं। क्यूंके म्हारौ सोच साफ हौ कै राजनीति हरेक करै। आपां क्यूं नीं करां। पण म्हारौ मानणौ है कै राजनीति करती बगत मारग साफ हुवणौ चाइजै। मतलब दो घोड़ां असवारी नीं करणी चाइजै। कै तौ अठीनै अर कै वठीनै। इण सूं कदै-कदै घाटौ र्इ हुय सकै, पण घणी दफा नफौ र्इ हुवै। इन्नै र्इ हां जी, हां जी अर बिन्नै र्इ हां जी, हां जी- बेसी दिनां तांणी ल्हुकी नीं रैय सकै। अठीनै रा र्इ विस्वासु नीं समझै अर वठीनै रा र्इ। खुद रै मन में दूजा नै चंदरू बणावणै रौ बैम भलांर्इं पाळयां राखौ। जद कै आज जकौ दो रोटी खावै, वौ सगळी च्यार सौ बीसी समझै। इणी सोच रै चालतां कदैर्इ राजनीति पेटै डांफाचूक नीं रैयौ। कांग्रेस संगठन सूं हेत हौ अर कदैर्इ बीजै जोड़ में नंी पज्यौ। हां, दूजै दळां रै केर्इ लोगां सूं जुड़ाव रैयौ, पण वठैर्इ म्हारी छिब साफ रैयी कै औ कुणसी विचारधारा रौ है। मतलब वठै दळगत जुड़ाव नीं रैयौ। बातचीत रौ संबंध रैयौ है रैयसी। इणी गत कदैर्इ साहितियक जुड़ाव में दोगाचिंती नंी रैयी। तथाकथित स्वयंभू प्रगतिशीलां सूं कदैर्इ नीं बणी। आज र्इ नीं बणै। क्यूंकै वठै ब्लैकमेलिंग सूं अळगौ कीं नीं। खुद रै हित पेटै वै पिछांण-परेड में र्इ नाट सकै। मतलब कालै जकौ चोटीकट हौ, वौ आज दुसमीं बण सकै अर आज जकौ दुसमीं है वौ कालै चोटीकट बण सकै। अैड़ां सूं कदैर्इ नंी पटी। नीं पटाणै री आस राखी। कांर्इं ठाह के हुवै, मूंन रैवणै री आसैपासै रै केर्इ बडेरां री समझ र्इ नीं बरत सक्यौ। घाटौ है कै नफौ, जुग बतासी। छेकड़ में, साहित्य अकादेमी, नर्इ दिल्ली में राजस्थानी एडवायजरी बोडै संयोजक रैया डा. चंद्रप्रकाश देवल री साथ देवणै री बांण री बडम करणी कदैर्इ नीं भूलसूं। चूरू रै नवा लिखारां सारू बोर्ड में किस्यौ र्इ प्रस्ताव राख्यौ तौ वां हरमेस हामळ री नाड़ हलार्इ। इंयां र्इ लोहिया कालेज छात्रसंघ रै दिनां में श्री अश्कअली टाक अर श्री नरेन्द्र बुडानिया रौ दीरीजेड़ौ साथ र्इ नीं भूल सकूं। श्री अश्कअली जी टाक रै कारणै लोहिया कालेज में भूगोल सूं पीजी हुयी अर जस म्हनै मिल्यौ। श्री नरेन्द्र जी बुडानियां वां दिनां लोकसभा सांसद हा अर वांरै साथ कारणै हलकै में म्हारी ओळख सवार्इ हुर्इ। म्हैं बी.ए. फाइनल स्टूडेंट री हैसियत राखतौ तद बुडानियाजी म्हारै गांव में जळसै भेळा हुया, फगत म्हारै नूंतै सूं। वठै वांरी करीजेड़ी खुल्ली बडम आज र्इ चेतै है। प्रयास संस्थान, चूरू सारू जमीन रै जोग पेटै साहितियकार श्री बैजनाथ पंवार अर साहित्यकार-उधोगपति श्री श्याम गोइन्का अर केर्इ बीजा रौ र्इ नांव हरमेस चेतै रैयसी। प्रयास संस्थान रै ओळाव समाजसेवी डा. घासीराम वर्मा तौ भूलाइज र्इ नीं सकै। प्रयास भवन री थरपण मौकै भार्इ उम्मेद गोठवाल जे साथै नीं हुवतौ तौ मानीज र्इ नीं सकै कै कांम बणतौ। साहित्यकार दुर्गेश री ओळूं र्इ आवती रैसी। प्रयास संस्थान री 'अनुसिरजण, 'अनुक्षण, 'लीलटांस, 'ओलोचना शोध पत्रिका रै प्रयासां सैंजोड़ै उम्मेद गोठवाल, कमल शर्मा, कुमार अजय, गीता सामौर आद र्इ उल्लेख में आवै। नारी हकां नै लेयनै रात-दिन बात करणवाळी जोड़ायत डा. कृष्णा जाखड़ नै र्इ अठै सिंवरू। साहितियक रुचि नै केवटणी अर हरेक पांवडै माथै साथ देवणै री हूंस म्हारी सगती है। लाडेस बेटी कृतिका पेटै तौ कैवणै रौ हाल बगत र्इ नीं आयौ। पण आं सूं अळगी र्इ केर्इ बातां है जकी कथीज सकै। जिंयां कै वीं बेली री बात, जकौ छात्रसंघ अध्यक्ष चुनाव में दो जीपां रौ भाड़ौ बोलबालौ र्इ देग्यौ अर आज तांणी म्हनै ठाह र्इ नीं पड़यौ कै वौ कुण हौ। चेतै आवै वौ बेली जकौ आपरी भैण नै म्हारै चुनावां में इयां लगाय दीन्ही कै छोरियां रा वोट अेकठ हुवता जाबक र्इ बगत नंी लाग्यौ। वै गुरुजी जका आपरै चेलका नै चुनावी आंगळी सीध करी। हरिसिंह, सोमवीर, दयापाल, चेतराम, नरेन्द्र सैनी, रामगोपाल, लच्छीराम जैड़ा वै भायला जका रात-दिन उपाळा खप्या, आज र्इ खप्पै। कंवळी आंगळयां बिचाळै कलम दाबनै लिखीजेडौ बधार्इ रौ वौ बेनामी कागद र्इ चेतै आवै, जकौ डाक सूं पूगनै केर्इ दिनां तांणी ऊध मचायां राखी अर छेकड़ पिछांण में आयौ। अठै वै र्इ छिण जीवता हुवै जका हेत रै ओळवै जीइजा अर जकां नै प्रेम री संज्ञा देवां तौ कीं गळत नीं। अठै वै र्इ बडेरा चेतै आवै जका हरमेस योजनावां रौ खुद लाभ उठायौ अर म्हनै अणजांण राखणै री आफळ में रात-दिन लाग्या रैया। इंयां कैवूं कै आज र्इ लाग्या रैवै। इणी गत और र्इ घणी बातां है जकी चेतै आवै, आवती रैसी। पण खास बात आ है कै सगळी छोटी-छोटी बातां रळनै अेक इतिहास बणै। वौ इतिहास लिखीजतौ रैयौ है अर लिखीजतौ रैसी। पण समूचौ लिखणै सारू आ ओपती ठौड़ कोनीं। क्यूंकै इतिहास में काळा पानां र्इ हुया करै अर काळा पानां भेळा केर्इ नांव अठै बीजी भांत सूं भेळा करीजा है, इणी कारणै बात नै रोकौ देवूं। भळै कदैर्इ....।